सोवियत यूनियन का पतन क्यों हुआ?

सोवियत यूनियन का पतन क्यों हुआ?

1991 में सोवियत यूनियन का अस्तित्व खत्म हो गया। हमारी नई डॉक्यूमेंट्री, “सोवियत यूनियन का पतन”, उन ऐतिहासिक लम्हों और आंकड़ों को दिखाती है, जो दुनिया के सबसे बड़े और मज़बूत देश के पतन को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

सोवियत यूनियन की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव और सोवियत यूनियन के पहले और आखिरी राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव को, देश के बाहर सोवियत यूनियन को खत्म करने का श्रेय दिया जाता है। लेकिन अपने ही देश में उन्हें अक्सर, इसके लिए आलोचना का शिकार होना पड़ता है। 1985 में जब गोर्बाचेव सत्ता में आए, तो उन्होंने देश में परिवर्तन लाने की आवश्यकता की घोषणा की। ‘पेरेस्त्रोइका’ (पुनर्गठन) और ‘ग्लासनस्त’ (पारदर्शिता), उस दौर के दो लोकप्रिय शब्द, सोवियत समाज को बदलने के उद्देश्य से गढ़े गए थे। हालांकि, इन प्रमुख नीतियों ने देश में माल की कमी को और बढ़ा दिया और गोर्बाचेव की जम कर आलोचना हुई। इस बीच, 1980 के दशक के अंत में, राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, बोरिस येल्तसिन की एंट्री हुई। कभी गोर्बाचेव को अपना गुरू मानने वाले येल्तसिन, उनके प्रमुख प्रतिद्वंदी बन गए। वे रिफॉर्म के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार थे। 

इसी समय, सोवियत गणराज्यों में राष्ट्रवादी उभरने लगे थे। काकेशस, बाल्टिक और मध्य एशिया में अलगाव की मांग उठी। मार्च 1991 में, एक जनमत संग्रह आयोजित किया गया, जिसमें सोवियत नागरिकों से पूछा गया था कि “क्या मौजूदा सोवियत यूनियन को नई ऊर्जा के साथ संरक्षित किया जाना चाहिए, जिसमें किसी भी राष्ट्रीयता के व्यक्ति के अधिकारों और स्वतंत्रता की पूरी गारंटी होगी?” लगभग 77% लोगों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। गोर्बाचेव ने घोषणा की, कि बाकी गणराज्यों को मज़बूत करने के लिए एक नई संघ संधि पर काम शुरू होगा। लेकिन 20 अगस्त को इस नई संधि पर हस्ताक्षर करने की उनकी योजना विफल रही। 

सोवियत यूनियन के उपराष्ट्रपति गेन्नेडी यानायेव के नेतृत्व में पार्टी के लोगों के एक समूह ने, सत्ता को अपने हाथों में लेने और गोर्बाचेव को पद छोड़ने पर मजबूर करने का फैसला किया। 18-21 अगस्त, 1991 को हुई नाटकीय घटनाओं को तख्तापलट के रूप में जाना जाता है। गोर्बाचेव और उनके परिवार को क्रीमिया में उनके डाचा में बंदी बना लिया गया था, षड्यंत्रकारियों ने आपातकाल की स्थिति के लिए एक राज्य समिति बनाई। मॉस्को की सड़कों पर टैंक उतर आए, जबकि मध्य मॉस्को में हज़ारों तख्तापलट विरोधी प्रदर्शनकारी जमा हो गए। 19 अगस्त को, येल्तसिन रूसी व्हाइट हाउस पहुंचे, जो प्रतिरोध का केंद्र बिंदु था, और इस कदम को 'प्रतिक्रियावादी तख्तापलट' बताया। अगस्त तख्तापलट विफल रहा। 

रूस, यूक्रेन और बेलारूस के नेताओं ने बाद में बेलोवेज़ा समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसने सोवियत यूनियन को भंग कर दिया। 25 दिसंबर, 1991 को क्रेमलिन के ऊपर रूसी तिरंगे ने हथौड़े और दरांती वाले झंडे की जगह ले ली। 

क्या सोवियत यूनियन के पतन को रोकना मुमकिन था? अगर गोर्बाचेव रिफॉर्म नहीं चाहते तो क्या सोवियत यूनियन अभी भी मौजूद रहता? क्या लोगों को सोवियत यूनियन के पतन का अफसोस है? इस फिल्म में मिखाइल गोर्बाचेव, लियोनिद क्रावचुक और स्तानिस्लाव शुश्केविच सहित पतन की घटनाओं में शामिल सभी बड़ी हस्तियां, सोवियत यूनियन के अंतिम सालों को याद कर रहे हैं। साथ ही रूस के आम नागरिक बता रहे हैं कि इस पतन ने उनके जीवन को कैसे प्रभावित किया।