साइबेरिया के विशाल ब्लैक होल्स के रहस्य!
2013 में जब पहली बार यमाल प्रायद्वीप में रहस्यमय गड्ढे दिखाई दिए, तो वैज्ञानिकों को ये नहीं पता था कि इसकी वजह क्या है। 30 मीटर तक के विशाल गड्ढे ऐसे दिखते हैं जैसे शक्तिशाली विस्फोटों से बनें हों। उल्कापिंडों, एलियंस और मिसाइलों की ओर इशारा करते हुए सोशल मीडिया पर कई थ्योरी सामने आईं।
नेनेट बारहसिंगा चरवाहों ने इन गड्ढों को बनते देखा है, उनका कहना है कि उन्होंने धरती को हिलते हुए महसूस किया और ज़ोर से विस्फोट की आवाज़ सुनी। ये स्थानीय लोग पीढ़ियों से टुंड्रा के आसपास रहते आए हैं और कहते हैं कि रहस्यमयी गड्ढे इस बात का संकेत हो सकते हैं कि “किसी ने कभी कुछ गलत किया है”।
“मुसीबतों को गले नहीं लगाना चाहिए”, एक स्थानीय महिला, वेरा हराटेटा कहती हैं, “इंसान कुदरत के बारे में सीखने से बहुत दूर है।”
यमाल ब्लैक होल्स की खोज के बाद से रूसी वैज्ञानिक स्पष्टीकरण की तलाश कर रहे हैं। अब तक, उन्होंने 17 रहस्यमय ब्लैक होल्स का पता लगाया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड के परिणामस्वरूप बनते हैं जिससे पर्माफ्रॉस्ट में सतह अंदर चली जाती है। क्रेटर से पहले दिखाई देने वाले 'प्रीकर्सर टीले' उनके सिद्धांत की गवाही देते हैं।
हालांकि कुछ लोगों का इशारा ग्लोबल वार्मिंग की तरफ है, लेकिन रूसी वैज्ञानिकों का कहना है कि तापमान में बदलाव से इस प्रक्रिया में तेजी आ सकती है, लेकिन ये ब्लैक होल्स का मुख्य कारण नहीं है। यमाल प्रायद्वीप पर्माफ्रॉस्ट की ज़मीन है, लेकिन ये स्थायी रूप से जमी हुई ज़मीन वाला एकमात्र क्षेत्र है जो इस प्राकृतिक घटना का अनुभव करता है।
हमने स्थानीय नेनेट बारहसिंगा चरवाहों से बात करने के लिए यमाल प्रायद्वीप की यात्रा की, साथ ही उन शोधकर्ताओं से भी बात की जो यमाल क्रेटर की पहेली को सुलझाने के करीब हैं।