नमक ही ज़िन्दगी है!
बोलीविया का ‘सालार दे उयूनी’ दुनिया का सबसे बड़ा साल्ट फ्लैट है। ये 3,600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और 11,000 स्क्वायर किलोमीटर तक फैला हुआ है। स्थानीय लोग इसे 'भगवान का दर्पण' कहते हैं। 40,000 साल पहले यहां एक झील हुआ करती था। लेकिन अब पानी, सिर्फ बारिश के मौसम में, दो महीने के लिए नमक को ढक लेता है।
भगवान का दर्पण कैसे बना – इसको लेकर एक वैज्ञानिक और एक स्थानीय थ्योरी है। स्थानीय निवासी मानते हैं कि उयूनी के आसपास के पहाड़ कभी इंसान हुआ करते थे। एक ज्वालामुखी पुरुष था और उसका नाम था कुस्कू। दूसरी ज्वालामुखी उसकी पत्नी तुनुपा थी। जब कुस्कू को दूसरे पर्वत से प्यार हो गया, तो तुनुपा को गुस्सा आया। तुनुपा के बच्चे, नदियां, अपनी मां के लिए रोते हुए नीचे भागे। तुनुपा ने देखा कि वे भूखे थे, तो उसने उन्हें दूध पिलाकर अपने स्तनों को सुखा लिया। इस तरह धरती सफेद हो गई और ये नमक का फ्लैट बन गया।
यहां नमक जमा करने वाले लोगों को 'सालेरोस' कहते हैं। नमक की भारी मांग की वजह से उनका काम काफी महत्वपूर्ण हुआ करता था। उनका काम कठिन और सेहत के लिए खतरनाक है। अगर सालेरोस बिना मास्क के काम करते हैं तो उनका चेहरा जलने लगता है। त्वचा चेहरे से छिल जाती है, दर्द होता है। रात को सोना भी नामुमकिन हो जाता है।
एक सालेरो की रोज़ाना ज़िन्दगी कैसी होती है? मुश्किलों के बावजूद लोग इस काम को क्यों नहीं छोड़ते? जानिए हमारी फिल्म से!