रूस के लक्ष्य और यूक्रेन का साथ देने में पश्चिमी देशों के फायदे

रूस के लक्ष्य और यूक्रेन का साथ देने में पश्चिमी देशों के फायदे

2021 के अंत तक, यूक्रेन डोनबास के इलाके में बड़े आक्रमण की तैयारी कर रहा था। 1.5 लाख यूक्रेनी सैनिक लुगांस्क और दोनेत्स्क रिपब्लिक की सीमाओं के पास तैनात हो गए। सालों से, अमेरिका और उसके सहयोगी, यूक्रेन की सरकार को प्रशिक्षण और उपकरणों के लिए अरबों डॉलर की सैन्य सहायता प्रदान करते रहे हैं। NATO को रूस के और पास लाने के लिए यूक्रेन बहुत साल पहले चुना गया था। 

कीव ने ज़ोर देकर कहा कि रूसी आक्रमण बेबुनियाद था। लेकिन यूरोप में NATO के बढ़ते दबदबे और “नियमों” पर चर्चा करने की मॉस्को की कई कोशिशें असफल रहीं। जब रूस ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन में सेना भेजी, तो उसके निशाने पर मिलिट्री ऑब्जेक्ट थे – यानी सैन्य रेंज, कारखाने, हथियारों के डिपो और हवाई अड्डे। मॉस्को एक शांति समझौते के लिए तैयार है, लेकिन कीव के प्लान अलग हैं। उसका मकसद है पश्चिमी हथियारों की मदद से युद्ध के मैदान में रूस को हराना

लेकिन पश्चिमी सैन्य सहायता इस संघर्ष में कुछ नहीं बदलेगी बल्कि इसे बढ़ाती रहेगी, जिसके नतीजे में नागरिकों और सैनिकों में अधिक मौतें होती हैं। इस फिल्म में विशेषज्ञ बताते हैं कि मौजूदा लड़ाई रूस और अमेरिका के बीच एक प्रॉक्सी वॉर क्यों है और ये अमेरिकी रक्षा उद्योग के लिए फायदेमंद क्यों है? एक विशेषज्ञ का कहना है कि ये एक ऐसा संघर्ष है जिसमें अमेरिका अपने लोगों को खोए बिना हिस्सा ले सकता है। और डिटेल जानिए हमारी फिल्म से।