मुज़फ़्फ़रपुर की सेक्स वर्कर्स की उम्मीदें और डर!
भारत के मुज़फ़्फ़रपुर में एक ऐसी गली है, जहां पुरुष लड़कियों को नाचते-गाते देखने आते हैं। लेकिन सिर्फ इतना ही नहीं। इस जगह वेश्यावृत्ति और मानव तस्करी भी होती है।
पुराने ज़माने में हिंदू पुजारी जवान लड़कियों को नृत्य दिखाने के लिए आमंत्रित करते थे। फिर उन लड़कियों में से सब से अच्छा नाचने वाली को देवताओं की सेवा करने के लिए चुना जाता था। उनको 'देवदासी' कहते थे। वे पूरी ज़िन्दगी पूजा के रूप में मंदिरों में नाचती और गाती थीं।
वास्तव में, उन लड़कियों का अक्सर यौन शोषण किया जाता था और वे वेश्यावृत्ति में पड़ जाती थीं। जब अंग्रेज़ों ने इस धार्मिक संस्था को बैन कर दिया, तो पूर्व 'देवदासी' मंदिरों से निकल कर सड़कों पर आ पहुंचीं।
मुज़फ़्फ़रपुर के रेड लाइट एरिया में 2,500 से ज़्यादा सेक्स वर्कर रहते हैं। यहां रहने की सब की अपनी-अपनी वजहें हैं। कुछ लड़कियों की पारिवारिक समस्याएं हैं, कुछ को बेच दिया गया, पीटा गया और इस काम के लिए मजबूर किया गया, और कुछ ने अपनी मां का पेशा चुना। लेकिन, वे सब अपनी ज़िंदगी से नफरत करती हैं।
यहां कोई खुलकर खुद को वेश्या नहीं कहतीं। ज़्यादातर लड़कियां अपना “धंधा” चलाने के कारण ही मां भी बनती हैं। गरीबी और समाज में खोई हुई इज़्ज़त – इन वजहों से औरतें अपना काम छोड़ नहीं पाती। लेकिन अब भी वे अपने बच्चों के लिए उम्मीदें रखती हैं कि वे अच्छी शिक्षा हासिल करें और इस माहौल से बाहर निकल पाएं।