पैसे जाएं, पर फैशन न जाए

पैसे जाएं, पर फैशन न जाए

‘ला साप’ साधारण कांगो के कामकाजी पुरुष हैं जो अपने स्टाइल के लिए पश्चिमी लग्ज़री ब्रांड्स के कपड़े पहनते हैं। वीकेंड्स पर ‘सैपर’ रंगीन थ्री-पीस सूट में धूल भरी झुग्गियों से निकलते हुए मीटिंग्स में जाते हैं, जहां वे "सोसाइटी ऑफ एंबियंस-मेकर्स एंड एलिगेंट पीपल" या फ्रेंच में S.A.P.E के साथी सदस्यों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं। RTD की टीम कांगो गणराज्य की राजधानी ब्राज़ाविल गई, ये पता लगाने के लिए, कि इतनी गरीबी के बीच, ये लोग फैशन को प्राथमिकता क्यों देते हैं।

एक स्थानीय बाज़ार में जाने पर, RTD की टीम ने मैक्सिम पिवोत के लिए भीड़ की प्रतिक्रिया देखी, जिन्हें 2010 में S.A.P.E के 'पहले राजा' का ताज पहनाया गया था। सेवेरिन मुएंगो, जिन्हें "बैडऐस ऑफ द साप" का उपनाम दिया गया है, जब वो अपने कपड़ों में बाहर निकले हैं, तो खुद को बड़ा महसूस करते हैं। एल्विस मैकक्वेज़ी, जिन्होंने "डिक्शनरी ऑफ द साप" लिखी है, इन अफ्रीकी जेंटलमेन के कोड ऑफ ऑनर 'सैपोलॉजी' की व्याख्या करते हैं। वे बताते हैं कि ये सिर्फ कपड़ों के बारे में नहीं है।

फैशन के लिए कांगो के जुनून का मतलब है कि वे स्वेच्छा से ब्रांडेड जूतों पर हज़ारों डॉलर खर्च करते हैं। आखिर उनके पास इतने पैसे आते कहां से हैं? और क्या है ‘खतरे में सैपर्स’? मैक्सिम पिवोत ने इसकी स्थापना क्यों की?