स्टालिन-युग की वास्तुकला की भव्यता की फिर से तलाश
VDNKh या मॉस्को में राष्ट्रीय कृषि प्रदर्शनी केंद्र स्टालिन के आदेश पर 1930 के दशक के अंत में बनाया गया था। ये सोवियत लोगों को नई उम्मीद और प्रेरणा देने के मकसद से बनाया गया था। ये वे लोग थे जो गरीबी का कठिन जीवन जीते थे और पूरी दुनिया को चकित करते थे। इसके कई पवेलियन वास्तुकला के अलग-अलग स्टाइल से बनाए गए थे और USSR के सर्वश्रेष्ठ कलाकारों और मूर्तिकारों ने अपने हुनर से इन्हें कई बारीकियों से सजाया।
इसके कई दर्शनीय स्थल मॉस्को के प्रतिष्ठित प्रतीक बन गए: वेरा मुखिना की मूर्तिकला वर्कर और कोलखोज़ वुमन, गोल्डन फाउंटेन, स्पेस रॉकेट। लेकिन सोवियत लोगों को इस वैभव की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। VDNKh के निर्माण के लिए गुलाग के कई हज़ार कैदियों का इस्तेमाल किया गया था और इसके शुरुआती वास्तुकार व्याचेस्लाव ओल्तारज़ेव्स्की को राजनीतिक कारणों से गिरफ्तार कर लिया गया और 5 साल के लिए निर्वासन में भेज दिया गया था।
स्टालिन की मौत के बाद, ये जगह जो विवादास्पद भावना पेश करती थी, उसमें कमी आने लगी। ख्रुश्चेव के शासन के दौरान, कई पवेलियनों की भव्यता को एल्यूमीनियम पैनलों के नीचे छिपा दिया गया था, जबकि पार्क के कई हिस्से इस्तेमाल के लायक नहीं बचे। धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से, देश की ताकत के जश्न को मनाने वाली इस जगह ने ठीक विपरीत काम करना शुरू कर दिया।