अमेरिका को टक्कर देने वाले सोवियत टैंक
1960 के दशक में, सोवियत संघ ने T-64 टैंक पेश किया, जिसने USSR के टैंक बलों की पूरी संरचना को बदल दिया। मशीन हल्के टैंकों जितनी तेज़ थी, लेकिन ऐसे शक्तिशाली हथियारों से लैस थी जो केवल भारी वज़न वाले टैंकों के पास थी। T-64 में एक विशेष रूप से मज़बूत कवच था जो शेप्ड चार्ज गोला बारूद का भी सामना कर सकता था। हालांकि, सभी टैंककर्मी नए टैंक से खुश नहीं थे।
अमेरिका में, देश के सबसे बड़े पैमाने पर उत्पादित टैंकों में से एक, M-60 का आधुनिकीकरण किया जा रहा था। इंजीनियरों को विशेष रूप से M-60 के मज़बूत कवच पर गर्व था। अमेरिका ने ‘योम किप्पुर’ युद्ध के दौरान दर्जनों M-60 इज़राइल को भेजे। दुनिया के 18 देशों में ये आज भी सेवा में हैं।
उसी समय, USSR ने T-72 टैंक को मैदान में उतारा। इसे टैंकों की दुनिया में कलाश्निकोव के बराबर माना जाता है। T-72 की मुख्य खासियत उसकी 125mm की स्मूथबोर गन है जो रॉकेट भी दाग सकती है। अमेरिका में, M-1 एब्राम्स ने अमेरिकी सेना को ज्वाइन किया, अमेरिकी टैंक के इतिहास में ये एक सर्वोच्च टैंक बन गया। पहले खाड़ी युद्ध के दौरान युद्ध में पहली बार इसका परीक्षण किया गया। आज भी ये अमेरिका का मुख्य युद्ध टैंक बना हुआ है।
हमारी होस्ट मरीना कोसारेवा के साथ शीत युद्ध के हथियारों के इस एपिसोड को देखें क्योंकि इसमें वो कुछ सोवियत टैंकों को करीब से देखती हैं और यहां तक कि T-80 की सवारी भी करती हैं। हथियार परीक्षक अलेक्सेय स्मिरनोव ने T-72 से HEAT और हाई-एक्सप्लोसिव राउंड दागे।