जानलेवा कचरा: कोविड-19 मेडिकल वेस्ट से जूझते लोग
WHO के मुताबिक, कोविड-19 महामारी की शुरूआत से अब तक दुनिया भर में मेडिकल कचरे की मात्रा 40% तक बढ़ चुकी है। अगर हर व्यक्ति अपने मास्क को हर दो घंटे में बदले, तो साल भर में उसे 1500 मास्क की ज़रूरत होगी। और ये कचरा, सिर्फ एक आदमी का है। हर दिन अस्पतालों और क्लीनिकों से भी कई टन मेडिकल कचरा निकलता है। ये कचरा बहुत खतरनाक है और इसे जला देना चाहिए। लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। ज़्यादातर कचरा गैरकानूनी तरीके से नदियों, नालों या फिर सड़क किनारे पड़े कूड़ेदानों में पहुंचता है।
बांग्लादेश में रहने वाले ओमर, कचरे के ढेर में कूड़ा बीनने का काम करते हैं। पैसों की कमी की वजह से उन्होंने दूसरा काम छोड़कर ये काम अपनाया। लेकिन दिन भर कचरे के ढेर में काम करने की वजह से ओमर को इन्फेक्शन का खतरा बना रहता है। वो खतरनाक कोविड-19 के कचरे से भी जूझते हैं। क्या कोई तरीका है कि ओमर की ज़िन्दगी को सुरक्षित बनाया जा सके?