क्या आपके मेकअप में बच्चों की मेहनत का पसीना शामिल है?
माइका एक प्राकृतिक खनिज है, जो मेकअप का चमकीला सामान बनाने के काम आता है। ये आपकी आई-शैडो में चकाचौंध और फाउंडेशन में मनचाही चमक लाता है।
आज शायद ही ऐसी कोई कॉस्मेटिक कंपनी हो जो इसका इस्तेमाल ना करती हो। लेकिन, इसे हासिल करना गैरकानूनी है, जिसमें बाल श्रम, सेहत और सुरक्षा के कई खतरे शामिल हैं।
ये भारत की तस्वीर है, जहां दुनिया के 60% माइका का उत्पादन किया जाता है। प्रतिबंधित होने के बावजूद झारखंड की गरीब जनता इस गैरकानूनी काम में मजबूरन शामिल है। राज्य के प्राकृतिक संसाधनों का इससे हनन होता है, लेकिन माइका आधारित कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स की बढ़ती डिमांड के कारण उत्पादन लगातार जारी है।
कई स्थानीय लोगों के लिए ये कमाई का एकमात्र ज़रिया है। हालांकि इस काम में सेहत का खतरा है, लेकिन फिर भी पूरे के पूरे परिवार इस काम में जुटे हैं। यहां तक की छोटे बच्चे भी। हर महीने यहां खदानों में किसी ना किसी की मौत की खबरें आती रहती हैं।
बाल दास श्रम यहां आश्चर्यजनक रूप से आम बात है। काम करने को मजबूर और शिक्षा से वंचित इन बच्चों के पास एक ही विकल्प है — इस खतरनाक काम में फंसे रहना।
हालांकि कई कॉस्मेटिक कंपनियां गैरकानूनी खदानों से माइका खरीदने से इनकार करती हैं, लेकिन जिन प्रोसेसिंग प्लांट्स से वो माल खरीदती हैं, उन पर सवाल नहीं उठातीं। इस बीच, झारखंड में ज़्यादातर माइका खदानें गैरकानूनी हैं।
RT डॉक्यूमेंट्री की टीम झारखंड पहुंची और जाना कि माइका की चमक के पीछे की सच्चाई क्या है।