स्विस किसान की रूसी कहानी

स्विस किसान की रूसी कहानी

1990 के दशक में जब बेंजामिन फोरस्टर पहली बार रूस आए, तो उन्हें इस देश से प्यार हो गया। ये प्यार इतना गहराया कि 2010 में वो रूस के एक छोटे से शहर में आकर बस गए। पेशे से हाउस पेंटर बेंजामिन को प्रकृति से प्यार था और इसलिए रूस आने के बाद, उन्होंने मधुमक्खी पालने का काम शुरू किया। शुरूआती दिनों में उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई और आज उनके छोटे से गांव में उनके बनाए शहद के कई दीवाने हैं। 

रूस की कड़ी सर्दी ने बेंजामिन को कभी परेशान नहीं किया क्योंकि वे खुद मूल रूप से स्विट्ज़रलैंड के हैं। लेकिन अब रूस को अपना घर मानते हैं। “मैं मज़ाक में कहता हूं, कि मैं शायद गलत देश में पैदा हो गया”, बेंजामिन कहते हैं। रूस आने के बाद बेंजामिन कज़ाकियों के एक समूह से मिले और उनकी संस्कृति से बेहद प्रभावित हुए। उन्होंने तलवारबाज़ी सीखी और लोकल मुकाबलों में कई ईनाम जीते। 

बेंजामिन ने अब ऑर्थोडॉक्स ईसाई धर्म अपना लिया है और रूस आने के बाद ही वे अपनी कज़ाक पत्नी येकतेरीना से मिले। उन्हें रूस से बेहद प्यार है और वे यहां आने वाली हर मुश्किल का हिम्मत से सामना करते हैं। लेकिन हां, एक बात है, जो बेंजामिन को रूस के बारे में बिलकुल भी पसंद नहीं है…

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