MiG फाइटर

MiG फाइटर

शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और सोवियत यूनियन दोनों परमाणु हथियारों से लैस थे, इसका मतलब ये कि अगर असल युद्ध होता, तो जीत किसी की नहीं होती। अमेरिकी और सोवियत नेता ऐसे हथियार बनाने के सपने देखने लगे, जिसके सामने परमाणु बम और मिसाइलें फीकी लगने लगें। इसलिए उन्होंने अपना ध्यान अंतरिक्ष की तरफ लगाया और दोनों देशों में अंतरिक्ष पर कब्ज़़ा करने की होड़ लग गई। 

सोवियत वैज्ञानिकों को ऐसा अंतरिक्ष यान बनाने की ज़िम्मेदारी दी गई, जो अंतरिक्ष में होने वाले किसी भी संघर्ष में अव्वल साबित हो। 'कुंडली' प्रोग्राम के तहत ऐसा फाइटर प्लेन तैयार किया गया, जो 60-70 किलोमीटर तक वायुमंडलीय गोता लगा सकता था, कक्षा छोड़ सकता था, बमबारी कर सकता था और एक आम हवाई जहाज़ की तरह वापस धरती पर लौट सकता था। 

इस बीच, अमेरिकियों ने 'कुंडली' को पीछे छोड़ने के सपने देखने शुरू कर दिये। उन्होंने हिटलर के तीसरी राइख के पहले स्पेस प्रोजेक्ट की ड्राइंग और गणनाएं इस्तेमाल कीं। अमेरिका का ‘डायना सोर’ प्लेन जो कक्षाओं के चक्कर लगा सकता था, भविष्य का सुपर हथियार माना जाने वाला था। लेकिन फिर, अचानक इस प्रोजेक्ट को बंद कर दिया गया। आखिर क्या हुआ? 

ये कड़ी आपको हाइपरसोनिक स्पेस विमानों की झलक दिखाएगी। इसमें आप जानेंगे कि कौन से वो प्रोजेक्ट थे, जो युद्ध भूमि में विश्व की तस्वीर बदलने की क्षमता रखते थे