MiG फाइटर: पार्ट 2

MiG फाइटर: पार्ट 2

जब सोवियत संघ ने अंतरिक्ष में पहली सैटेलाइट स्थापित की, तो अमेरिका की रातों की नींद उड़ गई। उन्हें लगा वे ‘स्पेस-रेस’ में हार रहे हैं। इसलिए, उन्होंने एक ऐसा टोही मिशन लॉन्च किया, जिसके ज़रिए कई अमेरिकी U-2 विमान सोवियत सीमा में घुस कर उनकी एयरफील्ड और मिसाइलों की लॉन्चिंग पोज़िशन की तस्वीरें ले सकते थे। 1960 में U-2 खुफिया विमान को सोवियत एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल से मार गिराए जाने के बाद भी, अमेरिकी सेना ने अपना टोही मिशन कायम रखा। बल्कि U-2 की असफलता ने अमेरिका के लिए ‘ब्लैकबर्ड’ विमान का रास्ता तैयार किया — एक ऐसा विमान जो 25 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकता था और जिसने 3000 किमी/घंटा की रफ्तार के साथ सबसे तेज़ उड़ने वाले विमान का खिताब हासिल किया। 

लेकिन सोवियत नेता अमेरिका के हाथों इस हार को बर्दाश्त नहीं कर पाए। USSR ने जल्द ही एक नया फाइटर प्लेन मैदान में उतारा जिसका नाम था MiG-25 और जो आवाज़ की गति से तीन गुना रफ्तार से उड़ सकता था। 

MiG अपने अमेरिकी समकक्ष से कैसे अलग था और उसकी खास बातें क्या थीं? जानने के लिए ज़रूर देखिए ‘शीत युद्ध के हथियार’ का हमारा ये पार्ट!