कैसे एक कलाकार ने एक पूरे गांव की सूरत बदल दी
42 साल की उम्र में, कलाकार निकोलाई पोलीसकी ने पारंपरिक कला से हटकर, प्रकृति से प्रेरित एक नई तरह की कला की ओर रुख करके अपनी ज़िंदगी बदल दी। उन्होंने सिर्फ अपना ही नहीं बल्कि अपने छोटे से गांव, निकोला-लेनिवेत्स को भूमि-कला के विश्व-प्रसिद्ध केंद्र में तब्दील करके, अपने पूरे समुदाय का भी जीवन बदल दिया। उनकी कृतियां उनके गांव के आसपास के दृश्यों की प्राकृतिक सुंदरता को और सुंदर बनाती हैं, जो स्थानीय और पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने वाली सामग्रियों का इस्तेमाल करके, वहां के निवासियों द्वारा बनाई गई हैं।
शुरुआत में गांव वालों को इस प्रोजेक्ट पर यकीन नहीं था। अपने रोज़मर्रा के कामों में व्यस्त होने की वजह से, उन्हें अपने खाली समय को इन अनोखी संरचनाओं को बनाने में ज़ाया करना कुछ ठीक नहीं लगा। लेकिन निकोलाई के उत्साह और अपने काम के प्रति उनके समर्पण को देखकर उनके पड़ोसियों के अंदर का कलाकार भी जल्द ही जाग गया। गांववालों ने उनके साथ मिलकर इस अद्भुत वास्तुकला का निर्माण किया।
इस सहयोग से संभव हुई लोक शिल्पकला ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी ओर ध्यान आकर्षित किया। आज इस जगह रूस का सबसे बड़ा भूमि-कला का उत्सव आयोजित किया जाता है, जिसे 'आर्खस्तोयानिये’ के नाम से जाना जाता है। यहां सिर्फ रूसी ही नहीं बल्कि दुनिया भर से पर्यटक और कलाकार आते हैं जो अपनी कृतियों का प्रदर्शन करते हैं। रूसी भूमि-कला के अग्रणी कलाकार निकोलाई पोलीसकी की अद्भुत रचनात्मकता की ये अनोखी कहानी देखें।