लेनिनग्राद घेराबंदी से जान बचाई, तो डोनबास में गोलाबारी में फंसी
लोरा गनिच 87 साल की हैं। यूक्रेन में निरंतर गोलाबारी के बीच, वो खुद को दोनेत्स्क में अकेला पाती हैं। वे बिना किसी की मदद के, खुद सारा काम करती हैं। काम पर जाते समय रोज़ अपनी जान जोखिम में डालने के बावजूद, लोरा घबराती नहीं हैं, लेकिन वो थक ज़रूर जाती हैं। अपने बचपन में, उन्होंने लेनिनग्राद घेराबंदी की दर्दनाक घटनाओं को झेला। तब उन्होंने सोचा था कि बस अब इसके बाद और जंग नहीं होगी। पर वो गलत थीं। लगातार हो रही यूक्रेनी गोलाबारी के बावजूद, उन्होंने अपने प्यारे शहर दोनेत्स्क में रहने का फैसला किया। आखिर क्यों? युद्ध उनके जीवन पर क्या असर डाल रहा है? क्या लोरा खुश हैं? जानने के लिए देखिए ये दिलचस्प डॉक्यूमेंट्री।